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Oct 2018
खुद के आँसू छुपा माँ बच्चो के सामने मुस्कुराती हो,
बताओ ना माँ तुम इतना दर्द हमसे कैसे छुपाती हो,

माँ ये धरती ये अम्बर तो तेरे पूण्य से बना है,
इंसान को ही नही तूने उस रब को भी जना है,

जलती हुई धूप में माँ तेरी ममता का छाया है,
शायद मेरे कर्म अच्छे थे जो मैंने तुमको माँ के रूप में पाया है,

तू ख़ुद भूखे रहकर माँ हमें खिलाती हो,
बताओ ना माँ तूम इतना दर्द कैसे छुपाती हो,

माँ तू हमारा मंदिर तू हमारा पहला  प्यार है,
तू है तो जीत है तू नही तो जीतकर भी हार है,

माँ तेरी दुआओं के सामने किसी दवा की जरूरत नही पड़ती,
एक तू ही तो है मेरी माँ जो अपनी फूँक से भी हमारा दर्द हर लेती,

हमारी जीवन की हर अनसुलझी पहेली को तुम सुलझाती हो,
बताओ ना  मेरी प्यारी माँ तुम इतना दर्द कैसे छुपाती हो,

माँ तेरी करुणा,प्यार इस जगत में अनेक है,
बच्चों की नियत बदल जाती माँ की नीयत तीनों लोक में नेक है,

हम चैन से सोये इसलिए माँ तुम रातभर जगी रहती हो,
देखो माँ तुम्हारी बनायी दुनिया मे भी आज तुम घर के कोने में पड़ी रहती हो,

माँ खुद के सपनें भूल तुम हमें सपनें दिखती हो,
बताओ ना माँ तुम इतना दर्द कैसे छुपाती हो.....
इतना दर्द माँ कैसे छुपाती हो..
Shrivastva MK
Written by
Shrivastva MK  23/M/INDIA
(23/M/INDIA)   
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