फिर भी
बोलियाँ, भाषाए भले है अनेक हमारी, फिर भी हम, एक है ।
मज़हब और जात पात भले हो अनेक , फिर भी हम एक हैं ।
पोशाक अलग, पगड़ी अनेक, कंहि साडी, कंहि सलवार, फिर भी हम एक हैं
मराठी, पंजाबी, मद्रासी, गुजराती, पर हम सारे हिन्दुस्तानी एक है ।
कहीँ भंग्डा, कहीं भरतनात्यम , गरबा,लावणी, बिहू, पर हम, एक
हैं ।
संगीत भी अनेक, भजन, गजल, कव्वाली या शास्त्रीय,पर हम तो एक है ।
रसोई, व्यंजन अलग, तरह तरह के; यह सब एक ही माता देती है; इस लीये हम एक हैं।
राष्ट्र पिता महात्मा गांधी ने हमें एक रहने का आदेश दिया है, क्यूँ की हम एक है ।
कितना अच्छा होता, अगर नेता, मुल्ला, पंडित यह सच बताते, के हम सब एक है ।
चलो गाये, " मज़्हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना, हिंदी है हम, हिन्दोस्ताँ हमारा "।
Armin Dutia Motashaw