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नीली, पीली, लाल, सफेद, गुलाबी, केसरी, रंगबिरंगी होती हैं य़ह नाजुक सी पतंग
पर मचल कर छुना चाहती है बादल को, आसमान को; उसे देखने वाले भी रह जाते है दंग
इस नाजुक सी पतंग को, उसकी डोर को, रखनी होगी मजबूती से तंग;
और कभी कभी देनी पड़ती है, मांजे को ढील, तभी जीती जाती है यह बाजी, यह जंग
मेहनत करनी पड़ती है, ज़हमत उठानी पड़ती है, बैठे बिठाए काम नहीं होगा, छोड़ना पड़ता है पलंग
उड़ती है ऊंची हवा के साथ पतंग, पर डोर काटते ही गिर भी जाती है, " बच्चे, सावधान ", कहता है यह मलंग
Armin Dutia Motashaw