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Jan 2019 · 359
पक्षी
Tinku Bharadwaj Jan 2019
हर पक्षी को कैद नहीं किया जा सकता, वो एक ना एक दिन उड़ ही जाते हैं।

और उन्हें देखकर पता चलता है कि कितना गलत था उन्हें पिंजरे में कैद करके रखना।

लेकिन फिर भी उनके जाने पर सब कुछ खाली लगने लगता है।।
Hope is a good thing and no good thing ever dies.
Tinku Bharadwaj Sep 2018
अभी तो ये बस शुरुआत हैं..

सपनों की सुराही को भरना है,
पहाड़ों की ऊंचाई तक चढ़ना है,
मंज़िल का रास्ता तैय करना है,
अपने जज्बातों की बेइन्तेहाँ, बेताबियाँ, होठों पर हमेशा मुस्कान रखना है
अपने अरमानों को दुल्हन की तरह सजाना है,

अभी तो ये बस शुरुआत हैं..

लोगो की परवाह किये बिना बस आगे चलते जाना है,
जो लोग अपने हैं उनका साथ निभाना हैं,
दिल की आवाज़ सुनकर अंदर छुपे काबिलियत को पहचाना है,
लोग शाम का इंतज़ार करेंगे और शमा हमे जलना है,

अभी तो ये बस शुरुआत है..

बादशाहो की बड़शाहियत का तजुर्बा हमने न जाना है,
पर सोच इतनी बड़ी रखनी हैं क्योंकि बादशाहियत एक दिन हमे अपनाना है,
हर वो अलफ़ाज़ दिल से निकली, हमे लोगो तक पहुंचना हैं,
किसी एक इंसान की ज़िन्दगी को छू जाए वो लफ्ज़ बस उनके दिल पर ये हुकूमत बनाना हैं,बादशाहो की बड़शाहियत का तजुर्बा हमने न जाना है,
पर सोच इतनी बड़ी रखनी हैं क्यूंकि बादशाहियत एक दिन हमे अपनाना है,
हर वो अलफ़ाज़ दिल से निकली, हमे लोगो तक पहुंचना हैं,
किसी एक इंसान की ज़िन्दगी को छू जाए वो लफ्ज़ बस उनके दिल पर ये हुकूमत बनाना हैं,

अभी तो ये बस शुरुआत है..

समुद्र की गहराई जैसा दिल को विशाल बनाना हैं,
अपनी साँसों की खुशबु से हवाओं को भी दीवाना बनाना है,
किसी की मदद के लिए यह हाथ बढ़ाना हैं,
कुछ अलग सोच रखकर एक नया जहां बनाना हैं,

अभी तो ये बस शुरुआत है..

समाज की सारे बंदिशें तोड़कर,
इंसानो से सारे रंजिशें भुलाकर,
हर आने वाला पल को अपनाना हैं,
लोग पागल कहते हैं तो कहने दो क्यूंकि एक अनोखे पागल की लोगो को दास्ताँ सुनना हैं,

अभी तो ये बस शुरुआत है..


अगर भटक भी जाये तो खुद को संभालना हैं,
अगर परिस्थितियां नामाकूल भी हो जाए तो हौसला और भरोसे के साथ आगे बढ़ना हैं,
दृर-निस्चै से किये गए फैसले पर क़याम रहना हैं,
हवाओं का रुख भी लगे तो उसे अपनी तरफ मोड़ना हैं,

अभी तो ये बस शुरुआत है..

मीलो दूर तक जाना हैं,
ज़िन्दगी की पहेली को सुलझाना हैं,
नाकामयाबी और कामयाबी की डोर का फैसला उस परवरदिगार के हाथों में हैं,
हमे तोह बस उनका दूत बनकर अपने कर्तवयों का पालन करना हैं,

अभी तो ये बस शुरुआत है..

आ भी जाए आंधी, उठ भी जाए तूफ़ान, च भी जाए घनघोर घटा,
तैरकर निकल आये थे रास्ते पर उससे पाकर ही जाना हैं,

अभी तो ये बस शुरुआत है..

लोगो को सपने को जीना सीखना हैं,
चाहे बच्चे हो या बूढ़े,
अपनी दास्तान मुंहजुबानी सुनना हैं,
भटके मुसाफिर को उसकी राह दिखाना हैं,
अपने को इस मुकाम तक पहुंचना हैं,
अपने को इस काबिल बनाना हैं,
रास्ते में हर अनजाना भी जाना सा लगे,
ये सपनो को हक़ीक़ात असल ज़िन्दगी में बनाना हैं,

अभी तो ये बस शुरुआत है..
Apr 2018 · 301
ख्वाहिश
Tinku Bharadwaj Apr 2018
ख्वाहिश नहीं मुझे बहुत मशहूर होने की
आप पेहचानते हो बस इतना ही काफी है ।

अच्छे ने अच्छा और बुरे ने बुरा जाना मुझे
क्यों की जिसकी जितनी जरूरत थी
उसने उतना ही पहचाना मुझे..।

मैंने समंदर से सीखा है जीने का सलीका
चुपचाप से बहना व अपनी मौज मे रेहना !
Jun 2014 · 616
Fire and Ice
Tinku Bharadwaj Jun 2014
Some say the world will end in fire,
Some say in ice.
From what I’ve tasted of desire
I hold with those who favor fire.
But if it had to perish twice,
I think I know enough of hate
To say that for destruction ice
Is also great
And would suffice.
BY ROBERT FROST
Jun 2014 · 464
THE LOOK
Tinku Bharadwaj Jun 2014
STEPHON kissed me in the spring,
Robin in the fall,
But Colin only looked at me
And never kissed at all.
Stephon's kiss was lost in jest,
Robin's lost in play,
But the kiss in Colin's eyes
Haunts me night and day.

— The End —