यदि कोई काम कम करे और शोर ज़्यादा , तो उसका किसी को है कितना फ़ायदा ? ऐसे कर्मचारी को कौन नौकर रखना चाहेगा ? मौका देख कर उसे बहाने से कौन नहीं निकालना चाहेगा ? अतः काम ज़्यादा करो और बातें कम से कम ताकि सभी पर अच्छा प्रभाव पड़े। सभी ऐसे कर्मचारी की सराहना करें। जीवन में कद्र काम की होती है , आलोचना अनावश्यक आराम करने वाले की होती है। सचमुच ! एक मज़दूर की जिन्दगी बेहद कठिन और कठोर होती है। बेशक यह दिखने में सरल लगे , उसकी जीवन डगर संघर्षों से भरी होती है और उसके मन मस्तिष्क में कार्य कुशलता व हुनर की समझ औरों की अपेक्षा अधिक होती है। तभी उसकी पूछ हर जगह होती रही है। काम ज़्यादा और बातें कम करना आदमी को दमदार बनाता है , ऐसा मानस ही आजकल खुद्दार बना रहता है। ऐसा मनुष्य ही उपयोगी बना रहता है , और स्वाभिमान ऐसे कर्मचारी की अलहदा पहचान बना देता है। १३/०२/२०२५.