जीवन में कोई कोई पल बगैर कोई कोशिश किए सुखद अहसास बनकर आता है। सच! इस पल आदमी अपने विगत के कड़वे कसैले अनुभवों को भूल पाता है।
यदि कभी अचानक बेबसी का बोझ किसी एक पल अगर दिमाग से निकल जाए और दिल अपने भीतर हल्कापन महसूस कर पाएं तो आदमी अधिक देर तक तनाव से निर्मित वजन नहीं सहता बल्कि उसे अपने जीवन में जिजीविषा और ऊर्जा की उपस्थिति होती है अनुभूत। ऐसे में जीवन एक खिले फूल सा लगता है और कोई कोई पल अनपेक्षित वरदान सरीखा होकर जीवन को पुष्पित, पल्लवित और सुगंधित कर ईश्वरीय अनुकंपा की प्रतीति कराता है। यह सब जब घटता है , तब जीवन तनाव मुक्त हो जाता है यही चिरप्रतीक्षित पल जीवन में आनंद और सार्थकता की अनुभूति बन जाता है।
सभी को अपने जीवन काल में इन्हीं पलों के जीवनोपहार का इंतज़ार रहता है। समय मौन रहकर इन्हीं पलों का साक्षी बनता है। इन्हीं पलों को याद कर आदमी स्मृति पटल में जीवन धारा को जीवंतता से सज्जित करता है! मतवातर जीवन पथ पर आगे बढ़ता है !! २२/१२/२०२४.