Submit your work, meet writers and drop the ads. Become a member
Nov 2024
ज़िंदगी के सफर में
ठोकर लग गई,फलत: चोट लगी।
बेहिसाब दर्द है,रोओ मत,
जीवन धारा के भंवर में
स्वयं को खोओ मत।
ठोकरें और चोटें
जीवन जीने की सीख देती हैं।
जीवन की बहती धारा को बदल देती हैं।
बस! ये तो प्यार, विश्वास,हमदर्दी की मरहम मांगतीं हैं।
Written by
Joginder Singh
34
   Khoisan
Please log in to view and add comments on poems