न कर अब अधिक देर तक निज को झकझोरती स्व से ज़ोर आजमाइश। पता नहीं कब सपने धूल में मिल जाएं? अचानक दम तोड़ दे सुख से सनी, रंगों से रंगी, जीवन की रंगीनियों से सजीं , अन्तर्मन से जुड़ीं ख्वाहिशें।
जीवन अनिश्चित है सो अब न कर अपने आप से ज़ोर आजमाइश। नियंत्रित रहेगा तो ही पूरी होंगी एक एक करके ख्वाहिशें। इन ख्वाहिशों और ख्वाबों की खातिर न बना खुद को, अब और अधिक शातिर । कभी तो बाज आ, स्व नियंत्रण की जद में आ जा। ज़्यादा हील हुज्जत न कर, खुद को काबू में किया कर। यह जीवन अपनी शर्तों पर, अपने ढंग से जीया कर।