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Arvind Bhardwaj
Poems
Mar 6
नर हो तुम नारायण तुम हो
नर हो तुम नारायण तुम हो,
पारब्रह्म अविनाशी हो,
तुम हो पालनहार जगत के,
तुम बैकुंठ निवासी हो,
जगत चराचर तुम्ही बसे हो,
तुम्ही बसे हो कण कण में,
जगत चराचर तुम्ही बसे हो,
तुम्ही बसे हो कण कण में,
मायाजाल में फसे हुए सब,
आन बसो अंतर्मन में,
आन बिराजो मुझमे तुम अब,
मैं भी तुझमे बस जाऊं,
ऐसे देना प्रभु दर्शन तुम,
मैं भवसागर तर जाऊं,
ऐसी गंगा धार बहा दो,
निर्मल काया हो जाए,
चाहे कितनी कठिन डगर हो,
तेरी छाया हो जाए,
नर हो तुम नारायण तुम हो --
नर हो तुम नारायण तुम हो,
पारब्रह्म अविनाशी हो,
तुम हो पालनहार जगत के,
तुम बैकुंठ निवासी हो,
Written by
Arvind Bhardwaj
Chandigarh
(Chandigarh)
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