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Armin Dutia Motashaw
Poems
Sep 2023
एहसान फरामोश
हमे धरती पर, जन्नत भेंट की थी, इतनी ख़ूबसूरत सी, दयालु खुदा ने, भगवानने;
उसे दोज़क की आग में झोंक दिया, इस नासमझ कमीने इन्सान ने ।
एहसान फरामोश है मानव, कुछ थोड़ा सा कम पड़ने से, बन जाता है दानव
रोता होगा अब, खुद खुदा भी, बना के ऐसे एहसान फरामोश इंसान को;
जो इंसानियत भूला कर, अपने रचैता और उसकी रचना को भुला कर याद करता है शैतान को।
ऐ खुदा, जन्नत तेरी, हम भी तेरे, यह धरती भी तेरी, फिर हमें यह गुमान क्यों?
कब तक रहेंगे इस तरह, बनके एहसान फरामोश हम युह ?
Armin Dutia Motashaw
Written by
Armin Dutia Motashaw
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