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Sep 2023
हमे धरती पर, जन्नत भेंट की थी, इतनी ख़ूबसूरत सी, दयालु खुदा ने, भगवानने;

उसे दोज़क की आग में झोंक दिया, इस नासमझ कमीने इन्सान ने ।

एहसान फरामोश है मानव, कुछ थोड़ा सा कम पड़ने से, बन जाता है दानव

रोता होगा अब, खुद खुदा भी, बना के ऐसे एहसान फरामोश इंसान को;

जो इंसानियत भूला कर, अपने रचैता और उसकी रचना को भुला कर याद करता है शैतान को।

ऐ खुदा, जन्नत तेरी, हम भी तेरे, यह धरती भी तेरी, फिर हमें यह गुमान क्यों?

कब तक रहेंगे इस तरह, बनके एहसान फरामोश हम युह ?

Armin Dutia Motashaw
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