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Armin Dutia Motashaw
Poems
Jan 2023
दिल की लगी
दिल की लगी
दिल की लगी , लगी थी पहले लोगोंको एक बचपनकी दिल्लगी
पर थी वो बहुत ही गहरी; थी वो एक खाई जैसी, कुछ अधिक ही गहरी
वो चोट इतनी थी गहरी की दिल पर ही नहीं, दिलकी गहराइयों तक थी लगी
बचपन की मुहोबत थी वो, मेरा पहला प्यार थी वो; पर मेरी पुकार शायद थी न इतनी गहरी;
इस लिए, सुनी नहीं तूने मेरी दर्दभरी आवाज, मेरे गीतों में सुनी न मेरी फरियाद
क्यों गिरिधर; सारी दुनियाके रखवाले होकर, तूने इस मीरा को ही क्यों ठुकराया
Armin Dutia Motashaw
Written by
Armin Dutia Motashaw
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