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Armin Dutia Motashaw
Poems
Dec 2022
राधिका रोये
राधिका रोये
मैं हूं वो सीप, बिना एक भी कीमती मूल्यवान मोती;
धुंधली पड़ गई है मोती सारते हुए अब मेरे नैननकी ज्योति
मोती आँखोने मेरी, तेरी याद में, न जाने कितने बहाये
तेरे इंतज़ार में मैंने न जाने कितने साल है गवांए
मोती मेरे बन गए है पानी, कीमत इनकी तूने न पहेछानी
दिलका दर्द जो मोती बनके बहा, उस दर्दकि कदर तूने न जानी
क्या कहूं तुझे, तू तो है अब एक राजा, ओ मेरे मथुरावासी !
कब मिलोगे मुझे तुम, ओ कन्हाई, राह निहारु ओ अविनाशी !
Armin Dutia Motashaw
Written by
Armin Dutia Motashaw
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