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Dec 2022
राधिका रोये

मैं हूं वो सीप, बिना एक भी कीमती मूल्यवान मोती;

धुंधली पड़ गई है मोती सारते हुए अब मेरे नैननकी ज्योति

मोती आँखोने मेरी, तेरी याद में, न जाने कितने बहाये

तेरे इंतज़ार में मैंने न जाने कितने साल है गवांए

मोती मेरे बन गए है पानी, कीमत इनकी तूने न पहेछानी

दिलका दर्द जो मोती बनके बहा, उस दर्दकि कदर तूने न जानी

क्या कहूं तुझे, तू तो है अब एक राजा, ओ मेरे मथुरावासी !

कब मिलोगे मुझे तुम, ओ कन्हाई, राह निहारु ओ  अविनाशी !

Armin Dutia Motashaw
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