Hello Poetry*
Classics
Words
Blog
F.A.Q.
About
Contact
Guidelines
© 2024 HePo
by
Eliot
Submit your work, meet writers and drop the ads.
Become a member
Armin Dutia Motashaw
Poems
Nov 2022
राधा-कृष्ण
राधा - कृष्ण
ओ कन्हाई,
भले तुझे सारि दुनियां भगवानके रूपमें पूजे, तुझे तारणहार माने,
पर कान्हा, तू है राधा बिना आधा, यह भी सारी दुनिया जाने
राधाने जुदाई में तेरी, आंसू न बहाये, यह दुनियां कैसे माने ?
पर डरती थी वो, उसकी आँखोंमें बसा तू, उसके असवन के संग, कहीं बह न जाए,
इस लिए राधाने बेहद गम सह कर भी, अपनी आंखोसे आंसू न बहाये ।
उसके दिलका दर्द, उसके मन की पीड़, वो आजभी, मनमें ही बैठी है छुपाये ।
न जाने क्यों आखिर राधाको उसका प्यार, उसका कान्हा क्यों नहीं मिला ?
इन दो प्रेमिओकी जुदाई का हमेंशा रहेगा चर्चा, हर प्रेमिके दिलमें, रहेगा गिला।
मैं भी सदा सोचती हूँ, उन्हें उनका यह शुद्ध बेपनाह प्यार, आखिर क्यों नहीं मिला ?
क्या कोई बता सकता है ???
Armin Dutia Motashaw
Written by
Armin Dutia Motashaw
Follow
😀
😂
😍
😊
😌
🤯
🤓
💪
🤔
😕
😨
🤤
🙁
😢
😭
🤬
0
71
Please
log in
to view and add comments on poems