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Armin Dutia Motashaw
Poems
Nov 2022
कागा
अरे ओ कागा
बर्गदके पेड़ की तेहनीपे बैठ कर, शोर मचाये जा रहा है, एक कागा
जब अम्बवाक़े पेड़ पर, काली कोयल का, अभी अभी मीठा सुर है लागा
मेरी अटरियापे दाना-पानी रखके दोनों को कहा है मैंने, "यहाँ आ"
काग तू भले न गाये मीठे गीत, मेरे पिया का संदेश तो ले कर तू आ
जिया तरसे, नैना बरसे, पिया जबसे है सिधारे; उनकी कोई तो खबर ला
भले तुझे कोई न बुलाये, मेरी अटरियापे, मोरे पिया का संदेश देने तू आ
Armin Dutia Motashaw
Written by
Armin Dutia Motashaw
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