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Armin Dutia Motashaw
Poems
Nov 2022
साई
श्रद्धा और सबुरी सीखने, मै द्वार तेरे हु आइ
कश्ती मेरी है मझधार बिना तेरे, स्थिर नहीं, वो है डगमगाई
आश्रय देदे, शरण में तेरे मुझे अब ले ले, ओ मेरे साई
जानु नहीं, इस दो रंगी दुनियामें सच्च है क्या, और क्या है एक परछाई
कृपा बरसाना मुझपे, सदा साथ रहे तेरा, ओ मेरे साई
दिखता है स्वार्थ चहु ओर, विपदा जीवनमे है छाई,
अकेलापन है, जीवनमें है उदासी और कठिनाई
बस अब तू ही है सहारा, सब कुछ है तेरे हाथ, ओ साई ।
Armin Dutia Motashaw
Written by
Armin Dutia Motashaw
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