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Armin Dutia Motashaw
Poems
Jun 2022
Bharam
भरम
बस एक झलक पाते ही, आपके ख़यालो में हो गए मशरूफ;
सपनों की दुनिया में खो गए; और यहां से शुरू हुई तकलीफ़
देखा जो आपको, अपने ही दिल के हाथो, हो गए मजबूर
इश्क़ के हाथो बिक गए; आप के नाम से जुड़ कर, होना था मशहूर ।
पर आंख खुली तो समझ में आया, यह था एक जूठ, एक भरम
समझाया अपने आप को, शायद ऐसे अच्छे नहीं थे हमारे करम
इसी लिए बन के हम आंधी और तूफान से अनजान;
बिना समझे, जला दिया एक दीया आंधी में; जगा लिया दिल में तूफान
जीवन भर डोलेगी नैया, मिलेगा नहीं कभी साहिल
डूब जाएगी यह कश्ती, गहरी है झील; मिलेगी नहीं कभिभी मंज़िल ।
Armin Dutia Motashaw
Written by
Armin Dutia Motashaw
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