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Armin Dutia Motashaw
Poems
Apr 2022
सुनी कलाइयां
तेरी अनार की सुनी कलाइयां
तेरी दी हुई असंख्य चूड़ियों के बिना, कलाइयां पड़ गई है सुनी और लगने लगी है श्याम;
तेरे प्यार बिना, तेरी हस्ती बिना, हैयाती बिना, यही तो होना था इनका अंजाम
पैमाना छलकते हुए लगता है दिलकश; बेजान लगता है जब नही होती है उसमे जाम ।
अब सुनी और बेजान इन कलाईयों का नहीं कोई दाम, नहीं कोई काम ।
इन सुनी कलाईयों को क्या दु मैं नाम, अब तो दर्द भरी आहें और आँसूंओ के साथ गुज़रती है हर शाम
Anar
Written by
Armin Dutia Motashaw
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