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Apr 2022
तेरी अनार की सुनी कलाइयां

तेरी दी हुई असंख्य चूड़ियों के बिना, कलाइयां पड़ गई है सुनी और लगने लगी है श्याम;

तेरे प्यार बिना, तेरी हस्ती बिना, हैयाती बिना, यही तो होना था इनका अंजाम

पैमाना छलकते हुए लगता है दिलकश; बेजान लगता है जब नही होती है उसमे जाम ।

अब सुनी और बेजान इन कलाईयों का नहीं कोई दाम, नहीं कोई काम ।

इन सुनी कलाईयों को क्या दु मैं नाम, अब तो दर्द भरी आहें और आँसूंओ के साथ गुज़रती है हर शाम

Anar
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