Hello + Poetry
Classics
Words
Blog
F.A.Q.
About
Contact
Guidelines
© 2024 HePo
by
Eliot
Submit your work, meet writers and drop the ads.
Become a member
Armin Dutia Motashaw
Poems
Apr 2022
सुनी कलाइयां
तेरी अनार की सुनी कलाइयां
तेरी दी हुई असंख्य चूड़ियों के बिना, कलाइयां पड़ गई है सुनी और लगने लगी है श्याम;
तेरे प्यार बिना, तेरी हस्ती बिना, हैयाती बिना, यही तो होना था इनका अंजाम
पैमाना छलकते हुए लगता है दिलकश; बेजान लगता है जब नही होती है उसमे जाम ।
अब सुनी और बेजान इन कलाईयों का नहीं कोई दाम, नहीं कोई काम ।
इन सुनी कलाईयों को क्या दु मैं नाम, अब तो दर्द भरी आहें और आँसूंओ के साथ गुज़रती है हर शाम
Anar
Written by
Armin Dutia Motashaw
Follow
😀
😂
😍
😊
😌
🤯
🤓
💪
🤔
😕
😨
🤤
🙁
😢
😭
🤬
0
78
Please
log in
to view and add comments on poems