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Apr 2022
पल दो पल का है सवाल

ईतना भी तू  मशरूफ न हो, के अपनोके लिए तेरे पास एक पल भी न हो

ऐसा न हो, जब सिधारेंगे वो स्वर्ग तब तुझे उनके लिए रोनेकी भी फुरसत न हो ।

जो रिश्तोंको एहमियत न दे, प्यार और सन्मान न दे, वो बहुत पछताता है ।

जो तुम्हारा अपना है, उसे थोडासा अपनापन दो, तुम्हारी एक कीमती पल दो

उसके दुखमे सांत्वना दो, बस पलभर हाथ थाम लो ।

पैसों का नाम आते ही रिश्तेदार और दोस्त, डर जाते हैं,

पैसे भले मत दो, सिर्फ दो हिम्मतभरी बातें तो करो ।

साथ निभाओ, जब साथकी जरूरत हो, इतना भि मशरूफ मत रहो।

Armin Dutia Motashaw
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