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Armin Dutia Motashaw
Poems
Mar 2022
हवा का एक जोंका
हवा का एक जोंका
जाने कहाँ चला गया तू, बनके हवा का एक जोंका
न मेरी आवाज़ सुनी, क्यों किसीने तुझे ज़रा भी नहीं रोका !
एक आंधी आइ, उड़ा कर ले गयी तुझे, लूट गया मेरा बहुत कुछ
एक पल भर में ही, मेरा जीवन बदल गया सचमुच !
लूटके वो ले गयी साथ तुझे, बिखर गया हमारा संसार
जीवन नैया डूब गई मझधार में ही, पहुँच पायी न उस पार
Armin Dutia Motashaw
Written by
Armin Dutia Motashaw
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