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Mar 2022
हवा का एक जोंका

जाने कहाँ चला गया तू, बनके हवा का एक जोंका

न मेरी आवाज़ सुनी, क्यों किसीने तुझे ज़रा भी नहीं रोका !

एक आंधी आइ, उड़ा कर ले गयी तुझे, लूट गया मेरा बहुत कुछ

एक पल भर में ही, मेरा जीवन बदल गया सचमुच !

लूटके वो ले गयी साथ तुझे, बिखर गया हमारा संसार

जीवन नैया डूब गई मझधार में ही, पहुँच पायी न उस पार

Armin Dutia Motashaw
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   Khaab
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