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Armin Dutia Motashaw
Poems
Feb 2022
An Ode on Lataji
सो गई है आज, चिर निंद्रामे लताजी, हमारी स्वर साम्रगीनि
शांत हो गए हैं सुर, चुप हो गए हैं साज़, रो रही है रागिनी
आज तो दुःखी है संगीतकी पूरी दुनिया, खुशी किसीने छीन लिनी
हर राग रागिनी रोते है, हर गायिका का गला रुंधा हुए हैं, कहाँ चली गयी उनकी संगिनी
अमर हो गई, आज शांति से सो गई भारतकी कोकिला, अपनी स्वर साम्रगीनि।
Lataji I will always love न adore you
Armin Dutia Motashaw
Written by
Armin Dutia Motashaw
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