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Dec 2021
एक पत्ता बेचारा

ऐसी चली ज़ोरोसे हवा, के पत्ता बिचारा, डालीसे गया टूट

उसका प्रेमभरा, घना रिश्ता, उस पेड़ से सदा के लिए गया छूट

पागल पवन ने, बड़ी बेरहमिसे, उसका सब कुछ लिया लूट

तूफान यह कैसा आया जीवनमें; सब कुछ बिखर गया, सब कुछ गया टूट

बिछड़ कर, टूट कर, अकेला हो कर, तेहनीसे अपनी, वो  गया रूठ

लगा उसे यह सारा संसार है एक मायाजाल, यहाँ सब चीज़े है झूठ

अब न जाने उसे, हवा कहाँ कहाँ उड़ाएगी, वो बिचारा रोया फुट फुट

NB:
पत्ते जैसा जीवन बन गया है मेरा, न जाने किस्मत कहाँ कहाँ ले जाएगी, कितना और तड़पायेगी।

Armin Dutia Motashaw
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   SUDHANSHU KUMAR and Surkhab
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