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Dec 2021
भेड़िया

भीड़तंत्र में स्वतंत्र
एक भेड़िया
पहन वस्त्र विचित्र
विहीन चरित्र
आत्मा मूर्छित
वसुधा कुंठित
जहरभरी जाह्नवी
बिक गया हर कवि
धुंदला रवि
मदमस्त भस्मासुर गा रहा
बहरे श्रोता
समझे चीत्कार को मल्हार
झूम रहे खाके
जड़ी बूटी
किसी का सर कुचला
किसी की कमर टूटी
समय बदलेगा
हमेशा बदला है
इतिहास ने किसको बख्शा है
बख्शीश देने वालों को भी नहीं।
Avinash
Written by
Avinash  37/M
(37/M)   
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   Benzene
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