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Mar 2021
एहसास डर का जो ढलता नहीं
एहसास गम का जो बुझता नहीं
नए एहसास जो दिल में जगते है वह फ़िर मिटते नहीं
एहसास लफ़्ज़ों से बयां होते नहीं
एहसास तो आंखो के आइने से बयां किए जाते है
फिर चाहे वह खुशियों का बादल या गम का सागर हो
नफ़रत हो या
प्यार का कोई पैगाम हो
एहसास लफ़्ज़ों से बयान होते नहीं
एहसास
Akta Agarwal
Written by
Akta Agarwal  25/F/Kolkata
(25/F/Kolkata)   
60
   Piya
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