एहसास डर का जो ढलता नहीं एहसास गम का जो बुझता नहीं नए एहसास जो दिल में जगते है वह फ़िर मिटते नहीं एहसास लफ़्ज़ों से बयां होते नहीं एहसास तो आंखो के आइने से बयां किए जाते है फिर चाहे वह खुशियों का बादल या गम का सागर हो नफ़रत हो या प्यार का कोई पैगाम हो एहसास लफ़्ज़ों से बयान होते नहीं