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Mar 2021
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ना जाने कौन सी मदिरा का मुझ पे असर छाया है,
जज़्बात उफान पर हैं और यादों का साया है,

तुम्हारी नशीली आंखें और नाजुक उंगलियों के एहसास,
जज़्बात यह मेरे बेकाबू हो चले हैं,

तुम्हारी तिरछी मुस्कान का जादू जो था,
आज भी अपना असर दिखा रहा है,

न जाने क्यों आज याद आ रहा है,
वोह गुजरा जमाना, वोह तुम्हारे संग गाना,

तुम्हारा कुछ न कहना बस सुनते रहना,
मेरा बेसिरपैर की गुफ्तगू करते रहना,

कितना दूर निकल आएं हैं,
बस यादें ही रह गई हैं,
हसीन भी, नासूर भी जैसी भी,
हैं तो सब यादें ही।


Sparkle In Wisdom
Sparkle in Wisdom
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Sparkle in Wisdom  43/F/West Africa
(43/F/West Africa)   
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