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Jan 2021
राशन   भाषण  का  आश्वासन 
देकर कर  बेगार  खा गई।
रोजी रोटी लक्कड़ झक्कड़ खप्पड़
सब सरकार खा गई।
 
देश   हमारा   है    खतरे   में,  
कह    जंजीर    लगाती   है।
बचे   हुए   थे  अब तक जितने,
हौले से अधिकार खा गई।

खो खो  के घर  बार जब अपना ,
जनता  जोर  लगाती है।
सब्ज बाग से  सपने देकर ,
सबके  घर  परिवार  खा गई।

सब्ज  बाग  के  सपने    की   भी, 
बात  नहीं  पूछो   भैया।
कहती  बारिश बहुत हुई है,
सेतु, सड़क, किवाड़  खा  गई।

खबर उसी की शहर उसी के ,
दवा उसी की  जहर उसी  के,
जफ़र उसी की असर बसर भी
करके सब लाचार खा गई।

कौन  झूठ से  लेवे   पंगा ,
हक    वाले   सब   मुश्किल में।
सच में झोल बहुत हैं प्यारे ,
नुक्कड़ और बाजार खा गई।

देखो  धुल  बहुत शासन   में ,
हड्डी लक्कड़  भी ना छोड़े।
फाईलों   में  दीमक  छाई  ,
सब  के सब  मक्कार खा गई। 

जाए थाने  कौन सी साहब,
जनता रपट लिखाए तो क्या?
सच की कीमत बहुत बड़ी है,
सच खबर अखबार खा गई।

हाकिम जो कुछ भी कहता है,
तूम तो पूँछ हिलाओ भाई,
हश्र  हुआ क्या खुद्दारों का ,
कैसे  सब  सरकार  खा  गई।

रोजी  रोटी  लक्कड़  झक्कड़ ,
खप्पड़ सब सरकार खा गई।
सचमुच सब सरकार खा गईं,
सचमुच सब सरकार खा गईं।

अजय अमिताभ सुमन
ajay amitabh suman
Written by
ajay amitabh suman  40/M/Delhi, India
(40/M/Delhi, India)   
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