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Dec 2020
सुन ले पुकार

हे प्रभू ,
गाऊ मैं ऐसे के झूम उठे दिल; और तृप्त हो जाये हर श्रोता की आत्मा;

आशीष देना मुझे, के मैं  ऐसा ही कुछ  कर पाऊँ; ओ  मेरे परमात्मा ।

दिल से गाऊ, तार से तार मिला पाऊं, प्रसन्नता छा जाये चहू ओर;

सुन के मेरे गीत मधुर, झूम उठे तु, ओ  मेरे  चित्चोर ।

भजन के सुर और तान ऐसे लगे, के तुझ तक ये पहुच पाये;

इन्हें सुन कर, तु खुद मुघ्ध हो कर, मेरी बाहों में दौडा चला आये ।

दिल से निकले, दिल तक पहुंचे, तन मन हो जाये तुझ में लीन

तडपाना न मुझे, बनना नहीं है मुझे,  बिना नीर की, एक बेचैन मीन  

प्रभू, कोशिश करती रहूंगी मैं, भले मै, मीराबाई न बन पाऊ।

पर पकड के रखना मुझे, खो न जाऊँ, और गीर भी  न जाऊँ ।

Armin Dutia  Motashaw
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