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Oct 2020
मैं पैदा हो सकता था उस मां की कोख से
या फिर उस मां की कोख से
लेकिन हुआ इस मां की कोख से
जिसके पति का नाम यह था।

मुझे किसी ने पूछा नहीं
ना किसी ने जानने की कोशिश की
बस बोल दिया कि तू यह धर्म का है
और यह तेरी जाती है।

पर जब बड़े होकर मैंने
इन जंजीरों को तोड़
ना चाहा तो जाना कि
मेरे अपने ही व जंजीर बने बैठे थे।

जब विवश होकर मैं छठ पटाया
तो पाया कि वह हाथी की रस्सी
जो जंजीर बने बैठी थी
वह टूट गई और तब
समझ में आया कि उस हाथी की रस्सी
की कोई गलती नहीं थी
वह तो बस मेरी परीक्षा थी।

मैं पैदा हो गया उस मां की कोख से
जिसके पति का नाम यह था।
Written by
Pranay Patel
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