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Oct 2020
फिर एक बार

आज  फिर से  मचा है राष्ट्र भर में   हाहाकार ;

सोचती हूँ, कब तक होता रहेंगा ऐसा अत्याचार;

देश की एक बेटी, बर्बाद हुई है फिर एक बार;

हुआ है उसका समग्र  जिवन, तार तार

पर अब तो लोगोको आदत सी हो गई है, सुनने की यह चित्कार!!!

शरीर नोचा गया, आत्मा घायल, मन घायल; यही होता है बार बार;

जब तक मनुष्यता नहीं जागेगी, यह तो होता रहेगा लगातार ।

मात पिता, भाई बंधु, पतिओ के लिए है एक ललकार;

जागो, खत्म करो इन वैशि दरिंदो को, नही तो होता रहेगा यही बार बार ।

दुर्गा, काली  बन जा तू स्वयं ; अब यही है एक उपचार ।

मर जाने से हांसिल कुछ नहीं होता, उठा हाथ और अब  तुहि उसे मार ।

ओ वैशि दरिंदो, तुमहारि बिमारी का अब ऐसे ही करना पड़ेगा उपचार;

न जेल, न  कानुन, हर दुर्गा, हर  काली अब तुम पर करेगी वार ।

Armin Dutia Motashaw
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