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Armin Dutia Motashaw
Poems
Aug 2020
मन मोरा बावरा
मन मोरा बावरा
मन मोरा बावरा, बिना समझे, तोहसे नेहा लगाय
यह निर्मल प्रीत पिया, दुनिया समझ न पाय
बता जा इस कश्मकश में, हम जाए तो कहां जाए
कभी तो, कोई तो आ के, रास्ता हमें बता जाए ।
दुनियां की सोच के साथ, हम चल नहीं पाए ;
मन मोरा है बावरा, उसे लेकर हम जाए तो कहां जाए
प्रीतम, दिल दिमाग की कश्मकश में हम बावरे हो न जाए
कभी तरस खाकर आजा सांवरे, हम यह बावरे मन को कैसे समझाए
Armin Dutia Motashaw
Written by
Armin Dutia Motashaw
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