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Sohamkumar Chauhan
Poems
Aug 2020
नेट धीमा है
बर्दाश्त करने की अब आयी यह सीमा है
क्या करूं मैं यार, मेरा नेट धीमा है
यह १.५ जी बी भी अब खत्म होता नहीं
रात हो गई है, लेकिन कोई सोता नहीं
गति हूई धीमी, जब छाई घोर घटा
मिलना हुआ यह बंद, जब बादल ज़ोर से फटा
मक्सद है तेज़ी, पर आ गई मंदी
भैया तेरी यह चाल, लगी है बहुत गंदी
बिजली जाए तो यारा, एक तेरा सहारा है
जब चाहे तेरी जीत, तू तब भी हारा है
तेरा भरोसा नहीं, तेरा करना बीमा है
और क्या करूं मैं यार, मेरा नेट धीमा है
Written by
Sohamkumar Chauhan
23/M/Vasco da Gama, Goa
(23/M/Vasco da Gama, Goa)
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