Submit your work, meet writers and drop the ads. Become a member
Aug 2020
तरक्की पैसा पावर की जात बता दी

इक वायरस ने दुनिया को उसकी औकात बता दी

हाहाकार करती आज प्रकृति है हारी ,त्राहि त्राहि है दुनिया सारी

क्यूँ मजाक किया इस धरती के संग ,क्या खूब दिखाये तूने इसको रंग

आज प्रकृति ने दुष्परिणामों का कहर बरपाया ,जग जीवन भी अब डगमगाया

अस्त्र शस्त्र के बिना जारी प्रकृति का युद्ध है

जो वरदान हुवा करता था ,अब वो ही विज्ञान क्रुद्ध है

इस वायरस ने इंसानी दावों की जात बता दी

इक वायरस ने दुनिया को उसकी औकात बता दी

महामारी हर सवाल का जवाब है ,हमने ही तो प्रकृति का किया ये हाल है

आज हमारे अत्याचार का वो जवाब दे रही ,अब हमें किस बात की हैरानी हो रही

अब  रब का क्यूँ इंतज़ार है ,भक्त कर रहे पुकार है

अब कुछ समझ आ रहा नहीं ,क्यूँ कोई कुछ कर पा रहा नहीं

सोंचो एक सूक्ष्म  वायरस ने ,तेरी हद बता दी पल भर में

विश्व विजेता का ,मजाक बना दिया पल भर में

तेरा दम्भ मिथ्या है ,बता दिया पल भर में

तेरे आविष्कार बौने हैं ,बता दिया पल भर में

तुम प्रकृति का सिर्फ रिमोट हो ,बता दिया पल भर में

बता दिया पल भर में ,प्रकृति से गुरुर मत दिखाना

अपनी बुराइयों को ,मानव से ही दिखाना

जब चाहेगी प्रकृति तुमको ,कमरों में  बंद कर देगी

तुम्हारे आविष्कारी वस्तुओं को ,मिथ्या सिद्ध कर देगी

प्रकृति को करता नमन हूँ ,मानव को है सिखाना

प्रकृति ही सब कुछ है ,इसे हर हाल में  है बचाना ||
prabhat pandey
Written by
prabhat pandey
61
 
Please log in to view and add comments on poems