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RAFIQ PASHA
Poems
Feb 2021
मज़दूर
PASHA Poems Drafts
मैं मज़दूर हूँ, आज मैं मजबूर हूँ
वैसे तो मैं मेहनत क़े लिए मशहूर हूँ
कैसे दो रोटी जुटाऊ
अपनों की भूक मिटाऊ
दूर गॉव कि मिट्टी मुझे बुलाए
बूढ़े माँ बाप की याद सताए
मैं मज़दूर हूँ, मैं देश का अंकुर हूँ
यह अचानक क्या हो गया
मेरा सूक चैन सब खोगया
अपने भी हो गए पराये
चलते राह में न मिले सराये
मैं मज़दूर हूँ, नई पीढ़ी का फितूर हूँ
मेरी दास्तान अगली पीढ़ी याद रखे
एक लाचार कि गर्दन कभी न झुके
शिकायत आज हम किस्से करे
अपना नसीब है जो भूखे मरे
मैं मज़दूर हूँ, युवा देश का सुरूर
Written by
RAFIQ PASHA
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