बारिश की बुंदों से कुछ यूं गुफ्तगू करना चहता हुँ, भरे हुए मन को बस खाली करना चाहता हूँ! इन बुंदों के साथ साथ, कुछ आँसू बहाना चाहता हूँ, और इन बुंदों को मेहसूस कर, फिर मुस्कुरुना भी चाहता हुँ! इन बुंदों की आड़ में, कुछ अपने दर्द चुपाना चाहता हुँ, और इन बुंदों के साथ साथ, अपनो का कुछ दर्द भी बाटना चाहता हुँ! बारिश की बुंदों से मैं, कुछ यूं गुफ्तगू करना चहता हुँ!