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Purva Barva Jun 2020
क्या खुबसूरत है, ये रिश्तों का समा भी,
जो दूर है, उनसे एक पल का भी फासला नही,
और जो साथ है, उनसे फास्लों के अलावा कुछ नही,
कुछ अपने होकर भी पराये है,
तो कुछ पराय होकर भी अपने,
रिश्तों के इस सफर में, ये रिश्तों के धागे,
कुछ अलग ही उलझे है, कुछ उलझे हुए ही ठीक है,
तो कुछ सुलझ जाए तो ही बेहतर है!
फिर भी खुबसूरत है, ये रिश्तों का समा!!!
Purva Barva Jun 2020
बारिश की बुंदों से कुछ यूं गुफ्तगू करना चहता हुँ,
भरे हुए मन को बस खाली करना चाहता हूँ!
इन बुंदों के साथ साथ,
कुछ आँसू बहाना चाहता हूँ,
और इन बुंदों को मेहसूस कर,
फिर मुस्कुरुना भी चाहता हुँ!
इन बुंदों की आड़ में,
कुछ अपने दर्द चुपाना चाहता हुँ,
और इन बुंदों के साथ साथ,
अपनो का कुछ दर्द भी बाटना चाहता हुँ!
बारिश की बुंदों से मैं,
कुछ यूं गुफ्तगू करना चहता हुँ!
Purva Barva Jun 2020
कुछ ज़ख्मो के निशान इस कदर रह जाते है,
जो ज़िन्दगी भर साथ निभा जाते है,
ये ज़ख्म कुछ ज़िन्दगी से मिले, तो कुछ रिश्तों से,
हम कितने भी आगे बढ़ जाये ज़िन्दगी में,
फिर भी उन ज़ख्मो को भर नही सकते,
वो हमेशा हमें उस वक़्त की याद दिलाते रहते है!
ज़िन्दगी के ज़ख्मो ने सिखाई, इस सफलता की किमत,
और रिश्तों के ज़ख्मो सिखाया अपने और पराय का फर्क!
इसलिये अगर ये ज़ख्म ना भी भर सेक तो कोई अफसोस नही,
मैने सिख लिया है इन ज़ख्मो के साथ ज़िन्दगी जीना,
क्युंकि इन रिश्तों ने भी तो इन ज़ख्मो के बावजूद हर पल है साथ निभाया मेरा!! हर पल है साथ निभाया मेरा!!
Purva Barva Jun 2020
इन साँसों को मज़ाक मत समझा करो जनाब,
इनकी एहमियत तुम्हे नही होगी शायद,
मगर एकबार अपनो को पुछकर तो देखना!
इन साँसो के साथ खेलने से पेहले,
तुने क्या खोया ये नही, तुने क्या पाया,
ये सोचकर तो देखना एकबार!
कभी जो चाहा वो ना हुआ तो क्या?
क्या खुद पर इत्ना भी विश्वास नही, हिम्मत नही,
की अपनी परेशानियों से लड़ सको?
क्या इन परेशानियों से बढकर है,इस जिन्दगी की किमत?
अगर कुछ हांसिल ना कर सेक तो क्या,
जिंदगी आगे नही बढेगी, क्या वही थम जायेगी ?
बस एकबार सोचकर तो देखना,
इन साँसों के साथ खेलने से पहले!!!
Purva Barva Jun 2020
Kuch is kadar shor kar jati hai Khamoshiyan!
Bin kuch kahe, bahot kuch keh jaati hai ye Khamoshiyan,
Jo baaten kabhi lafzon se bhi bayan na ** sake,
Wo kabhi kabhi khamoshiyan keh jaati hai,
Kabhi bigdi baat bana jati hai,
To kabhi Bannti baat bigad bhi jati hai!
Bas Kuch is kadar shor kar jati hai yeh Khamaoshiyan!
Purva Barva Jun 2020
ये आंखें बहोत कुछ केह जाती है,
अगर तुम सुन सको,
इसमे चुपा दर्द भी,
और कुछ खुशी भी,
इन आंखों में नमी की वजह भी,
और कुछ छुपे हुए राज़ भी,
बस अगर तुम सको तो,
ये आंखे बहोत कुछ केह जाती है!!!!
Purva Barva Jun 2020
काश इन परेशानियों का भी कोई आशियाना होता,
कम्बख्त रोज़ तो मेरे यहाँ यूं ना चली आती,
या फिर काश ये कोई चीज़ ही होती,
ताकी इसे मैं किसी अटेची में भरकर,
किसी विरानी सी जगह छोड ही आता,
काश इन्हे खुद पर कुछ तो गुरूर होता,
तो ये रोज़ तो मेरे यहाँ यूं ना चली आती!
तो ये रोज़ तो मेरे यहाँ यूं ना चली आती!!!!
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