कुछ ज़ख्मो के निशान इस कदर रह जाते है, जो ज़िन्दगी भर साथ निभा जाते है, ये ज़ख्म कुछ ज़िन्दगी से मिले, तो कुछ रिश्तों से, हम कितने भी आगे बढ़ जाये ज़िन्दगी में, फिर भी उन ज़ख्मो को भर नही सकते, वो हमेशा हमें उस वक़्त की याद दिलाते रहते है! ज़िन्दगी के ज़ख्मो ने सिखाई, इस सफलता की किमत, और रिश्तों के ज़ख्मो सिखाया अपने और पराय का फर्क! इसलिये अगर ये ज़ख्म ना भी भर सेक तो कोई अफसोस नही, मैने सिख लिया है इन ज़ख्मो के साथ ज़िन्दगी जीना, क्युंकि इन रिश्तों ने भी तो इन ज़ख्मो के बावजूद हर पल है साथ निभाया मेरा!! हर पल है साथ निभाया मेरा!!