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Jun 2020
काश

इतना बुलाने पर भी, तुम कभी नही आते,

लाख  मिन्नते करने पर भी तुम क्यु नही आते ?

काश कभी तुम भुलेसे आ जाते;

जुदाई है लंबी; जो अब सही नहीं जाती;

बस बार बार तुम्हारी याद है आती।

दिल में जो है बसी, वौ  कभी नही जाती

तुम तो आते नहीं,और तुम्हारी यह याद, जाती नही।

हाज़ारॉ कोशिशों के बावजूद कम होती नही ;

सावन  बीते, बहारे भी चली गई, पर तुम्हारे आने की कोई खबर नहीं !

बस तुम्हारी याद आती रही, सताती रही, तडपाती रही ।

काश तुम आ जाते, हसके कुछ कह जाते; पर  हमारा यह नसीब नहीं ।

प्रितम, एक भी दिन ऐसा नही, जब यह तुम्हारी याद आती नहीं!

यूही कभी मिल जाते, या तुम दिख जाते  अचानक ;

सुन जाते मेरी पायल  और चूडियों की  खनक,

काश मिल जाते तुम, या फिर मिल जाती तुम्हारी एक झलक;

या तो मिल जाती हमें तुम्हारी  खुशबू, तुम्हारी थोड़ीसी  महक!

यह सोच कर, इस  विचारसे ही, जाउंगी मै बहक ।

Armin Dutia  Motashaw
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