सुनो तो अरे सुनो तो सही। याद आती है तुम्हारी, बहुत याद आती है।। कभी आओगे या नहीं ये तो नहीं पता, लेकिन । कभी ज्यादा तो कभी कम ही सही, याद जरूर आती है तेरी ।। इन कविता के बहाने मन को मना लेती हु। कि शायद तू आएगा , की शायद तू आएगा शायद थोड़ी देर ही सही।। अच्छा सुनो आना तो जल्दी आना, हाँ अगर आना तो जल्दी आना। ज्यादा देर हुई तो फिर शायद मैं तेरी रहूं या ना रहु फिर इसकी भी मुझे खबर नही।।