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May 2020
मेरे जज़्बात से वाकिफ मेरी कलम,
हमेशा मेरे सपनो को ही लिखती है ।
और मेरे सपनो का हिस्सा,
तुम भी हो ।
वैसे तो पत्तझड़ में गिरते पतो को कोन पूछता है ?
पर पता नहीं क्यू, में,
मेरा मन,
हमेशा तुमसे यह आशा करता है की,
बस तुम साथ देना ।

मंज़िल चाहे हो भी हो,
जैसी भी हो,
सफर बोहोत सुहाना होगा ।
जब मेरे हाथों में तुम्हारे हाथ,
तुम्हारी बाहों में मेरा बदन,
और दिल को इस बात की तस्सली की,
मेरे पास तुम्हारा साथ होगा ।
कुछ अासान नहीं होगा,
हर मोड़ पे तकलीफे होगी ।
एक पल में सब खो देने का डर तो होगा पर क्या फर्क पड़ता है ?
झेल लेंगे न,
क्यूंकि तुम्हारा साथ भी होगा ।


और अगर कठिन स्तिथि में तुम साथ हो,
तो अच्छे दिन भी जल्द ही आ जाएंगे ।
ज्यादा कुछ नहीं मांगा है,
क्यूंकि कठिनाईयां तो हर मोड़ पे है ।
में बस हर तकलीफ तुम्हारे साथ देखना चाहती हूं,
उससे लड़,
उससे बाहर आना चाहती हूं ।
हमेशा तुम्हारे साथ रहना चाहती हूं,
वोह हर लम्हा जब तक में यह पे हूं,
वोह तुम्हारे साथ जीना चाहती हूं ।

ज़िन्दगी है यह,
यहां कभी भी कुछ भी हो सकता है ।
एक कदम, एक गलती,
और सब खत्म हो सकता है,
पर शायद उस एक कदम से,
बोहोत कुछ बदल भी तो सकता है ।
आज जी रहे है,
कल शायद यहा सांस लेने को नहीं होंगे ।
इसलिए तुमसे पूछ रही हूं ।

जैसे भी रास्ते हो,
हर कदम में साथ दोगे ?
हर खुशी और गम में,
मेरे साथ रहोगे ?
तो क्या बोलते हो तुम ?
मेरे साथ जीना चाहोगे ?
Muskan Purohit
Written by
Muskan Purohit  16/F
(16/F)   
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