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May 2020
क्या नाम दू

यह इश्क़, इस प्रित को क्या नाम दू ;  कोई जरा मुझे  बताये;

यही  इश्क़  जो मुझे दिन रात तडपाए , बेन्तहा  सताये !

नज़र मिलते ही  दिल पराया हो गया, यह क्या हो गया ?

धडकता है सिने में मेरे, पर उसके लिये; मेरा ही दिल मुझे धोका दे गया ।

उड़ गई नीन्द रातों की, हाये अचानक मुझे यह क्या हो गया ;

नीन्द न आये  फिर भी  आँखे  तरस्ती है दर्शन को; बुलाती हू सपनो मे;

अब आँखे मेरी, देखती है  सपने तेरे, अरे  मुझे यह क्या हो गया !

नस  नस में तू ही है समाया, फिर भी, आखिर तो, तू है पराया ।

राणा  यह समझे  ना, मिरा क्यू भई  बांवरि, यह प्रित को क्या नाम दूँ ?

पराया है तू, तो क्यू लागे अपना सा, मोहन मेरे, इस प्रित को मै क्या नाम दू?

यूह न तडपा, यूह न तरसा, राधा की, मिरा की, गोपियो की प्रित को क्या नाम दूँ ?

Armin Dutia  Motashaw
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