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Armin Dutia Motashaw
Poems
May 2020
On Buddh Purnima
हे सिद्धार्थ,
एक परिंदे को बचाने लड़ गया था तू अपने भाई से,
जीत लिया था दिल सबका अपनी दया और भलाई से
प्रेम का संदेश था तेरा अती गहरा, डूब गया उसमे जग सारा
कर गया जग को उजागर रानी मायावती का दुलारा ।
आज जग में फिर से शांती फैलाने आजा एकबार
सख्त जरुरत है यहा, इस धरा को शांती और प्यार (की)।
Armin Dutia Motashaw
Written by
Armin Dutia Motashaw
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