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May 2020
बावरे नैन

दर्शन को तरसते हैं तेरे पिया, मेरे यह बावरे नैन

छिन लिया है मोहन तुने, मेरे दिल का चैन ;

बता मुझे, धुन्द्ने तुझे, बिरहन मै, कहां  जाऊ

बंध करू इन्हे, तो दर्शन की झलक पाऊ ;

खोलूं नैन तो, हो जाए तू ओज़ल;

बिरहमें तेरे, थक गई हूँ, सांसे भी है बोझल

तेरे बिरह में असवन बहाये, मेरे यह बावरे नैन;

बांसुरीया तेरी, सुना कर मीठी ताने, कर जाती हैं जिया बेचैन

तरसाना, तड्पाना इतना, ठीक नही है प्रितम मेरे ,

शाम सवेरे, नित्य तरसु  मैं, दर्शन को तेरे

नज़र फेर कर, मुझे ठुकरा कर, क्या मिलेगा तुझे ;

बस माँगू इतना, दर्शन दिखला जा मोहन मुझे ।

Armin Dutia  Motashaw
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