क्या हो रहा है न जान पा रहा है कोई क्यों खो रहे है सब ये अजीब सोच जाग रही है घुटन सी होती है इन दीवारों में अपने ही घर मै बन्द नहीं रह पाते तो उन जानवरो का क्या होता होगा जो अपने घर मै भी नहीं बस किसी अनजान सी जगह मै नजर बन्द है जिसे वो जानते भी नहीं ओर लोग उन्हें यूं देखते है जैसे वो कोई सामान हो उनके भी हाल हमारे जैसे ही होंगे शायद हमसे बत्तर हम कुछ दिन नहीं झेल पा रहे वो सालों साल कैसे जीते है शायद घुटन से ही वो मर जाते है।