मानवता जैसे खत्म हो रही थी अपने आप मै ही सब नस्ट हो रहे थे गीता मै कृष्ण ने कहा था... कलयुग सबसे बड़ा युग होगा जिसके उपरांत संशार का अंत होगा पर शायद अभी कलयुग का अंत करीब नहीं अभी एक जीवाणु से बचने की कोशिश में लोगो को भावनाए समझ मै आने लगी है लोग इस बनावटी दुनिया मै पहली बार शायद अपनों के करीब आ रहे है अपने आप को शायद पहचान रहे है शायद सुकून की नींद सो रहे है पहली बार शायद पुजारियों या मंदिरों मै रखी पत्थर की मूर्ति की जगह अपने आस पास रहने वाले लोगों पर अपने साथ रहने वाले लोगों पर भरोसा कर रहे है इस शंकट की घड़ी मै आखिरकार लोगो को एक दूसरे मै ही भगवान देखना चाहिए, ऐवम एक दूसरे का सहारा बनना चाहिए ये बात समझ मै आ जाए शायद इस जीवाणु की वजह से ही लोग अपने आप को ओर अपनी इस प्रकृति को..... एवं मानवता को फिर से समझ जाए।