Submit your work, meet writers and drop the ads. Become a member
Apr 2020
न जाने क्या हुआ
किसके साथ हुआ
कुछ समझ नहीं आता
मै हूं या मेरा शरीर
जो मुझे युं कचोट रहा
कुछ ख्वाहिशें है
कुछ सपने है
जो शायद कहीं खो गए है
उन सपनों को वापस पाने की आशा मै
उन पुराने खंदरो को साफ करने चली हूं
कर के रहूंगी करना है तो
बस दुबारा ध्यान n भटके
करना ही बस खान तो  लिया है
बस ध्यान n भटके ये देखना है।
Written by
Rashmi
  107
 
Please log in to view and add comments on poems