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Dec 2019
दिनभर के थकान को एक झटके में खोने दो
हो गई है रात, अब यार मुझे सोने दो

आंखे हुई बंद तो अलग सा एहसास हुआ
बिस्तर होता आम है, पर उस समय वह खास हुआ
सपनों के ठेले को मुझे खुद ढोने दो
हो गई है रात, अब यार मुझे सोने दो

हैं पैसे हराम के, तो यह आपके साथ नहीं
आती है यह सबको, ऐसी यह बात नहीं
मैं इसे चाहता हूं, मुझे ईमान बोने दो
हो गई है रात, अब यार मुझे सोने दो

कोई जाता नौ को, कोई बारह को जाता है
किसी को आए पल में, तो किसी को वक़्त लगाता है
अगर जागता हुआ नहीं, तो मुझे नींद में तो रोने दो
हो गई है रात, अब यार मुझे सोने दो
Sohamkumar Chauhan
Written by
Sohamkumar Chauhan  23/M/Vasco da Gama, Goa
(23/M/Vasco da Gama, Goa)   
  176
   Solitary Sac
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