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Dec 2019
आग

दिल की आग न पानी बुझा सकी, न आंसू

दोनों बहते गए; इतने बहे के आखिर सुक गए !

न दर्द कम हुआ न अगन, दोनों बढ़ते ही रहे

प्यारमें, जुदाईमें, न जाने हमने कितने दर्द झेले

इंसान प्यार क्यों करता है या उसे प्यार क्यों हो जाता है ???

जवाब नहीं है कोई मेरे पास; कोई तो मुझे बताए !!

जानू मैं, बस रोक सकते नहीं हम यह एहसास ।

तो, रुकेगी फिर कैसे, यह दिल की आग !!!

Armin Dutia Motashaw
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