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Dec 2019
उपवन

ओ ऊपरवाले, संगीत चाहा, तो है यहां कोलाहल;

नदियां, झील चाहे तो गरीबों को नसीब, नहीं है पीने का जल

हरियाली, फूल, फल चाहे तो मिले कंक्रीट के भद्दे से जंगल

तु ही बता, इंसान कैसे मनाए यहां अब इस धारा पे मंगल ???

ऐसे तो कुसूर तेरा नहीं कोई, हम इंसानों ने ही उजाड़ दिया यह स्थल;

और अब मांगते है तुझसे मंगल, छलोछल नदियां, हरियालि से भरे उपवन

Armin Dutia Motashaw
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