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Dec 2019
मेरे बाबा,

तु ही बता मै तेरे द्वारे, द्वारका माई, कैसे आऊ

दिल में जो है, शब्दों में उसे मै ढाल न पाऊं ;

ओ साई, तुझे छोड़ के जाऊं तो कहां जाऊं ?

लिखा कुछ, पकड़ के हाथ , तब मै तेरे द्वार आ पाऊं

ओ मेरे बाबा, आशीष से तेरे, तेरे लिए आज मै कुछ लिख पाऊ

शब्द हो तेरे, हाथ भले हो मेरे; उनसे मै कुछ लिख पाऊ

सुरीली धुनमे इन शब्दों को पिरों के, तेरे लिए आज कुछ गाऊ ।

दीजिए ऐसा वरदान, मै तुम्हारे गीत और भजन गाऊ

अपनी ही धुन में गाते गाते इन्हे, मै तेरे दरबार में आऊ ।

Armin Dutia Motashaw
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