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Dec 2019
तुम्हारी

संसार छोड़ कर, मीरा बनी तोरी दासी,

राधा भी जनम भर रही प्यासी,

तेरे बिना यहां भी छाई है उदासी

मै भी हरी दर्शन की हूं प्यासी ।

हर कोई तुम पर है वारी, मेरे  गिरिधारी

दर्शन कब दोगे, नज़र कब आओगे मुरारी

याद रहे कान्हा, मै भी हूं तुम्हारी;

एक बार, बस एक बार पुकारो, कहके "प्यारी"

Armin Dutia Motashaw
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