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Nov 2019
देव दीवाली की पूर्णिमा

ए चांद, आज तुझे देखते ही चढ़ रहा है मुझे मदहोशी का नशा

पुर बहार में है तु, और समुंदर के ऊपर, बादलों में है जा बसा;

बड़ा खूबसूरत लगा तु,  बादल की ओट से जब तु हसा

बनाया है तुने आज बड़ा ही दिलकश और नशीला नज़ारा;

खुले नील गगन में आज मुझे नहीं दिखता है, एक भी सीतारा ।

यहां से लगता है तु बड़ा तेजोमय, खूबसूरत, और प्यारा ;

तेरी कला बनाती है इस जग को एक अति सुंदर खेला ।

पर पुछु तुझे, " क्या तु भी मेरी तरह है उदास और अकेला" ?

पिया बिना हूं मै उदास; भले जग है लोगो से भरा एक मेला ।

चांदनी से तेरी, करते रहना इस धरा को सुंदर और शीतल

तेरी चांदनी से खिलते रहे यहां सुंदर सुगंधित कमल

मिलता रहे हमें तेरा नज़ारा और शीतलता का फल ।

सदा करना तु  प्रेमीओका जीवन मधुर और सफल

Armin Dutia Motashaw
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